Posts

Showing posts from June, 2021

कैसे उतारें 'लोक-ऋण'

*अंतिम ऋण चिता की लकड़ी...* क्या आप जानते हैं मृत्यु के बाद भी कुछ ऋण होते हैं जो मनुष्य का पीछा करते रहते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में पांच प्रकार के ऋण बताए गए हैं देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण, भूत ऋण और लोक ऋण।  इनमें से प्रथम चार ऋण तो मनुष्य के इस जन्म के कर्म के आधार पर अगले जन्म में पीछा करते हैं। इनमें से पांचवां ऋण यानी लोक ऋण अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।  प्रथम चारों ऋण तो मनुष्य पर जीवित अवस्था में चढ़ते हैं, जबकि लोक ऋण मृत्यु के पश्चात चढ़ता है।  जब मनुष्य की मृत्यु होती है तो उसके दाह संस्कार में जो लकड़ियां उपयोग की जाती हैं दरअसल वही उस पर सबसे अंतिम ऋण होता है।  यह ऋण लेकर जब मनुष्य नए जन्म में पहुंचता है तो उसे प्रकृति से जुड़े अनेक प्रकार के कष्टों का भोग करना पड़ता है। उसे प्रकृति से पर्याप्त पोषण और संरक्षण नहीं मिलने से वह गंभीर रोगों का शिकार होता है।  मनुष्य की मृत्यु के बाद सुनाए जाने वाले गरूड़ पुराण में भी स्पष्ट कहा गया है कि जिस मनुष्य पर लोक ऋण बाकी रहता है उसकी अगले जन्म में मृत्यु भी प्रकृति जनित रोगों और प्राकृतिक आपदाओं, वाहन दुर्घटना में हो...

सनातन धर्म

*अगर आप घर पर सपरिवार के साथ हैं तो अपने बेटे एवं बेटी को अपने पोते एवं पोती को यह सब सिखाएं क्योंकि उन्हें हिंदू धर्म के विषय में ज्ञान होगा* ××××××××01 ×××× *दो लिंग :* नर और नारी । *दो पक्ष :* शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। *दो पूजा :* वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)। *दो अयन :* उत्तरायन और दक्षिणायन। *xxxxxxxxxx 02 xxxxxxxxxx* *तीन देव :* ब्रह्मा, विष्णु, शंकर। *तीन देवियाँ :* महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी। *तीन लोक :* पृथ्वी, आकाश, पाताल। *तीन गुण :* सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण। *तीन स्थिति :* ठोस, द्रव, गैस । *तीन स्तर :* प्रारंभ, मध्य, अंत। *तीन पड़ाव :* बचपन, जवानी, बुढ़ापा। *तीन रचनाएँ :* देव, दानव, मानव। *तीन अवस्था :* जागृत, मृत, बेहोशी। *तीन काल :* भूत, भविष्य, वर्तमान। *तीन नाड़ी :* इडा, पिंगला, सुषुम्ना। *तीन संध्या :* प्रात:, मध्याह्न, सायं। *तीन शक्ति :* इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति। *xxxxxxxxxx 03 xxxxxxxxxx* *चार धाम :* बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका। *चार मुनि :* सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार। *चार वर्ण :* ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। *चार निति :* साम...